टाइप-1 डायबिटीज पर ICMR की गाइडलाइन:इससे पीड़ित दुनिया का हर पांचवा बच्चा भारतीय; 3 तरीकों से बीमारी को करें कंट्रोल

CRIME INDIA NEWS

Jun 7, 2022, 4:49 PM

नई दिल्ली    कोरोना के बढ़ते मामलों के साथ ही भारत में टाइप-1 डायबिटीज के मरीजों में भी इजाफा हुआ है। इसके चलते इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) ने भी नई गाइडलाइन जारी की है। हेल्थ एजेंसी का कहना है कि कोरोना महामारी में डायबिटीज के मरीजों को ज्यादा तकलीफ हुई, जिसके कारण उनमें गंभीर संक्रमण और मौत का खतरा काफी बढ़ गया।

ICMR के मुताबिक, दुनिया में डायबिटीज मरीजों की आबादी में भारत दूसरे नंबर पर है। यहां हर छठे व्यक्ति को यह बीमारी है। पिछले 30 सालों में देश में डायबिटीज के मरीजों की संख्या 150% बढ़ी है। टाइप-1 डायबिटीज से पीड़ित दुनिया का हर पांचवा बच्चा या किशोर भारतीय है। इसके अलावा युवा कम उम्र में ही टाइप-2 डायबिटीज के मरीज बनते जा रहे हैं। यह शहरी और ग्रामीण इलाकों के 25 से 34 साल के लोगों में ज्यादा देखा जा रहा है। प्री-डायबिटीज के मामले भी तेजी से बढ़ रहे हैं।

टाइप-1 डायबिटीज क्या है?

यह एक ऐसी बीमारी है, जिसमें इंसान को इंसुलिन की कमी हो जाती है और ब्लड में शुगर का लेवल बढ़ जाता है। टाइप-1 डायबिटीज जेनेटिक भी हो सकती है। मां को यह बीमारी होने पर बच्चे को इसका रिस्क 3% होता है। वहीं, पिता या भाई-बहन को यह बीमारी होने पर इसका रिस्क 5% और 8% तक बढ़ जाता है।

क्या कहती है ICMR की गाइडलाइन?

1. सही डाइट और एक्सरसाइज

अच्छी डाइट और फिजिकल एक्टिविटी की मदद से डायबिटीज से बचा जा सकता है। इसके अलावा सही वजन, लिपिड लेवल और ब्लड प्रेशर मेंटेन करना भी जरूरी है। दक्षिण भारतीय और पूर्वी भारतीय लोगों के खाने में कार्बोहाइड्रेट की मात्रा ज्यादा होती है। इनमें कम से कम 70% कॉम्प्लेक्स कार्बोहाइड्रेट्स होने चाहिए। एक्सरसाइज से मोटापे और दिल की बीमारी से दूर रखा जा सकता है।

2. इंसुलिन थैरेपी

टाइप-1 डायबिटीज के सभी मरीज, चाहे वो बच्चे हों या बूढ़े, उन्हें ताउम्र इंसुलिन लेना ही होता है। इसलिए जरूरी है कि एक अच्छे डॉक्टर, डायबिटीज एजुकेटर और न्यूट्रीशनिस्ट की मदद से मरीज इंसुलिन डोज को एडजस्ट करते रहें।

3. सही ब्लड शुगर लेवल

ICMR का कहना है कि सही ब्लड शुगर लेवल मेंटेन करने से भी टाइप-1 डायबिटीज को कंट्रोल किया जा सकता है। अमेरिकन डायबिटीज एसोसिएशन की मानें तो मरीजों को खाने से पहले, सोने से पहले, एक्सरसाइज से पहले, ड्राइविंग से पहले और लो प्लाज्मा ग्लूकोज होने पर ब्लड शुगर लेवल जरूर मॉनिटर करना चाहिए।

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