कोर्ट का फैसला:गुजरात हाईकोर्ट ने कहा – पत्नी के अवैध संबंध होने के बावजूद उसे भरण पोषण देने से वंचित नहीं कर सकते

CRIME INDIA NEWS

AWAZ  BHANDARA

Dec 21, 2021, 04:48 PM

पत्नी के अवैध संबंध होने के बावजूद उसे भरण-पोषण से वंचित नहीं किया जा सकता है। जस्टिस जेबी पारडीवाला और निरल मेहता की खंडपीठ ने पत्नी द्वारा तलाक लेने के बादवजूद पति के साथ रहने की अपील में ये बात कही। शादी होने के बाद पत्नी का दूसरे लोगों से अवैध संबंध होने पर पति ने फैमिली कोर्ट से तलाक लिया था। पत्नी ने फैमिली कोर्ट के फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी।

पत्नी ने अपनी अपील में कहा था कि पति के साथ उसी के घर में रहना है। पति साथ नहीं रखता है तो भरण-पोषण दे। खंडपीठ ने कहा कि भरण-पोषण लेकर अलग हो जाओ, पति को तुम्हारे साथ नहीं रहता है। ऐसी शादी का अब कोई मतलब नहीं है। गांधीनगर में रहने वाली महिला ने फैमिली कोर्ट के फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी।

महिला ने अपील में कहा था कि वह बेटे के साथ वर्ष 2014 से अलग रहती है। बेटा अपने पिता को भी नहीं पहचानता है। हाईकोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि पिता को बेटे की जिम्मेदारी से छुटकारा नहीं मिल सकता है। पत्नी का कैसा भी अवैध संबंध हो पति उसे भरण-पोषण से वंचित नहीं कर सकता है। पत्नी के व्यभिचारी होने पर भरण-पोषण न चुकाने का कोई कानून नहीं है।

चार गुना ज्यादा कमाई करने पर भी पत्नी भरण-पोषण की हकदार
पति के वकील ने दलील दी कि पत्नी की उससे दोगुना कमाई है। केवल परेशान करने के इरादे से भरण-पोषण मांग रही है। खंडपीठ ने टिप्पणी की कि पत्नी चार गुना ज्यादा कमाती हो तो भी भरण-पोषण की हकदार है। एक साथ रकम दे दो तो जल्दी छुटकारा मिल जाएगा। पिता ने बेटे की पूरी जिंदगी के खर्च के लिए 8 लाख रुपए का ऑफर दिया।

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